बिहार

साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान ने बिहार की मृदुला सिन्हा को मरणोपरांत दिलाया पद्मश्री

बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के अड़ाई प्रखंड अन्तर्गत छपरा गांव में 27 नवंबर, 1942 को स्व. मृदुला सिन्हा का जन्म हुआ था

पटना: भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति की सदस्य, हिन्दी की विख्यात लेखिका और गोवा की राज्यपाल पद को सुशोभित करने वाली मृदुला सिन्हा को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में मरणोपरांत पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के अड़ाई प्रखंड अन्तर्गत छपरा गांव में 27 नवंबर, 1942 को स्व. मृदुला सिन्हा का जन्म हुआ था। स्व. सिन्हा ने पांचवां स्तम्भ के नाम से एक सामाजिक पत्रिका भी निकालती रही थी।

वे अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्रित्व काल में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी थी। उनकी पुस्तक ‘एक थी रानी ऐसी भी’ की पृष्ठभूमि पर आधारित राजमाता विजया राजे सिन्धिया को लेकर एक फिल्म भी बनी थी।

मृदुला सिन्हा का जन्म अनुपा देवी और बाबू छबीले सिंह के यहां 27 नवम्बर, 1942 को हिन्दू पंचांग के अनुसार राम-विवाह के शुभ दिन बिहार राज्य में मुजफ्फरपुर जिले के छपरा गांव में हुआ था। मनोविज्ञान में एमए करने के बाद उन्होंने बीएड किया और मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में प्रवक्ता हो गयीं। कुछ समय तक मोतीहारी के एक विद्यालय में प्रिंसिपल भी रहीं।

उनका मन वहां भी न लगा और नौकरी को सदा के लिये अलविदा कहकर उन्होंने हिन्दी साहित्य की सेवा के लिये स्वयं को समर्पित कर दिया।

उनके पति डॉ. रामकृपाल सिन्हा, जो विवाह के वक़्त किसी कॉलेज में अंग्रेजी के प्रवक्ता हुआ करते थे, जब बिहार सरकार में मन्त्री हो गये तो मृदुला ने भी साहित्य के साथ राजनीति की सेवा शुरू कर दी।

मृदुला की प्रकाशित कृतियां

राजपथ से लोकपथ पर (जीवनी)

नई देवयानी (उपन्यास)

ज्यों मेंहदी को रंग (उपन्यास)

घरवास (उपन्यास)

यायावरी आंखों से (लेखों का संग्रह)

देखन में छोटे लगे (कहानी संग्रह)

सीता पुनि बोलीं (उपन्यास)

बिहार की लोककथायें -एक (कहानी संग्रह)

बिहार की लोककथायें -दो (कहानी संग्रह)

ढाई बीघा जमीन (कहानी संग्रह)

मात्र देह नहीं है औरत (स्त्री-विमर्श)

विकास का विश्वास (लेखों का संग्रह)

साक्षात्कार(कहानी संग्रह)

पुरस्कार और सम्मान

पद्मश्री मिलने से पूर्व मृदुला को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से साहित्य भूषण सम्मान और दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार के अतिरिक्त अन्य भी कई सम्मान-पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।

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