झारखंड

पारा शिक्षकों ने प्रस्तावित नियमावली को समझने के लिए सरकार से दो दिनों का लिया समय

‘वेतनमान के वादे से मुकरी सरकार’

रांची: राज्य के पारा शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली के प्रारूप पर पारा शिक्षकों ने आपत्ति जतायी है।

शनिवार को राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें पारा शिक्षकों के संगठनों ने भी शिरकत की।

बैठक में शामिल झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ (राज्य इकाई) के प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीक शेख ने इस बैठक की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इसमें कई बिंदुओं पर वार्ता हुई। उन्होंने बताया कि वार्ता के दौरान विभाग की ओर से निम्नलिखित बातें कही गयीं-

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• टेट पास एवं प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को मानदेय से संतुष्टि करनी पड़ेगी।
• सरकार वेतनमान का लाभ नहीं देगी।
• प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 40 प्रतिशत एवं टेट पास पारा शिक्षकों को 50 प्रतिशत मानदेय का लाभ नियमावली लागू होने पर मिलेगा।
• बिहार मॉड्यूल के अनुसार पारा शिक्षकों को वेतनमान नहीं मिलेगा।
• आकलन परीक्षा पास करने पर प्रशिक्षित पारा शिक्षकों के मानदेय में 10 प्रतिशत का इजाफा होगा।
• जेटेट एवं सीटेट पास पारा शिक्षकों को आकलन परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी।
• प्रस्तावित नियमावली में ईपीएफ, सेवा पुस्तिका का संधारण।
सिद्दीक शेख ने बताया कि प्रस्तावित नियमावली को समझने के लिए एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा और झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ ने सरकार से दो दिनों का समय लिया है।
वार्ता में झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीक शेख के अलावा महासचिव विकास कुमार चौधरी, प्रधान सचिव सुमन कुमार, कोषाध्यक्ष नीरज कुमार, अजीत कुमार सिंह, अशोक चक्रवर्ती, छोटन राम, दिलीप महतो, दिलशाद अंसारी, नेली लुकास, अमरेश विश्वकर्मा, अमृता कुमारी, सीमा कुमारी आदि उपस्थित थे।

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पारा शिक्षकों को वेतनमान नहीं देगी सरकार, प्रस्तावित नियमावली को पारा शिक्षकों ने बताया आपत्तिजनक

‘वेतनमान के वादे से मुकरी सरकार’

इधर, एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा (राज्य इकाई) के सदस्य प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) ने बताया कि सरकार पारा शिक्षकों को वेतनमान का लाभ देने अपने के वादे से मुकर गयी है।

सरकार ने टेट पास पारा शिक्षकों को एक जनवरी 2022 से 50 प्रतिशत और प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 30 प्रतिशत मानदेय वृद्धि का लाभ देने का प्रस्ताव दिया है।

प्रद्युम्न कुमार सिंह ने इसे सरकार की गंदी चाल बताया है। उन्होंने कहा कि अभी वह नियमावली के प्रारूप का अध्ययन कर रहे हैं।

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