झारखंड

Jharkhand Central University के दीक्षांत समारोह में 704 विद्यार्थियों को मिली डिग्री

समारोह में 2020 से अब तक के कुल 704 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी

रांची: झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) (Jharkhand Central University) के दूसरे दीक्षांत समारोह का आयोजन चेरी-मनातू स्थित विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर में शुक्रवार को संपन्न हुआ। समारोह में 2020 से अब तक के कुल 704 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी।

इनमें कुल 28 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और एक विद्यार्थी को कुलाधिपति पदक से सम्मानित किया गया और 27 शोध विद्यार्थियों ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

इस बार कुलाधिपति पदक से गणित विभाग की स्वर्ण पदक विजेता प्रतीशा मिश्रा को सम्मानित किया गया। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भारत सरकार की शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी उपस्थित थीं।

शिक्षा राज्य मंत्री ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी स्नातक एवं पीएचडी डिग्री धारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जगत गुरु आदि शंकराचार्य की जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाना एक संदेश है कि विद्यार्थी उनकी तरह ही तेजस्वी बनें और जगत में अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाएं।

उन्होंने कहा कि यह गर्व कि बात है कि झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय अपना उन्नत स्वरूप ग्रहण कर रहा है। यहां के छात्र एवं शिक्षक केवल पठन-पाठन ही नहीं बल्कि अनुसंधान के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति 2020 लागू करने वाला झारखंड का पहला विश्वविद्यालय बन गया है।

सभी डिग्रीधारक एवं अकादमिक परिषद के सदस्य पारंपरिक परिधान में थे

उन्होंने कहा कि देश-विदेश में अपना नाम करने वाली संस्थाओं की श्रृंखला में झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय का भी नाम जुड़ गया है।

इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित कर विश्वविद्यालय के कुलगीत से हुई। कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने स्वागत वक्तव्य के रूप में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों एवं भविष्य की योजनाओं के बारे में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

इस दौरान कुलपति ने यह घोषणा की कि विश्वविद्यालय द्वारा डॉ. अंबेडकर सेंटर ऑफ एक्सिलेन्स की भी शुरुआत की गयी है, जिसकी अध्यक्षता महिमा सेक्ट के कवि, दार्शनिक संत भीमा भोई करेंगे ।

दीक्षांत समारोह की विशेष बात यह भी रही कि संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन भारतीय परंपरा के अनुसार किया गया। इसमें सभी डिग्रीधारक एवं अकादमिक परिषद के सदस्य पारंपरिक परिधान में थे।

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