झारखंड

हेमंत सोरेन काम के नहीं, नाम के हैं आदिवासी मुख्यमंत्री: समीर उरांव

कहा, वे सिर्फ नाम के आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, काम के नहीं

रांची: भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद समीर उरांव ने झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य के आदिवासी मुख्यमंत्री से संबंधित टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

उरांव ने सोमवार को कहा कि हेमंत सोरेन ने अपने कारनामों से यह साबित कर दिया कि वे पूरी तरह से आदिवासी विरोधी मुख्यमंत्री है।

वे सिर्फ नाम के आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, काम के नहीं। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन का पूरा कार्यकाल आदिवासी विरोधी निर्णयों से भरा हुआ है।

इनके कार्यकाल में आदिवासी समाज पूरी तरह ठगा हुआ महसूस कर रहा है। हेमंत सरकार गठित होते ही चाईबासा में आदिवासियों का सामूहिक नरसंहार हुआ।

झामुमो को यह बताना चाहिये कि बाबूलाल मरांडी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया जाना, क्या आदिवासी समाज का अपमान नहीं है।

उरांव ने कहा कि झारखंड राज्य बहन बेटियों पर बढ़ते अत्याचार एवम दुष्कर्म से शर्मशार हुआ है, जिसमे सबसे ज्यादा प्रभावित आदिवासी समाज की महिलाएं ही प्रभावित हुई है।

हेमंत सरकार में आदिवासियों की ज़मीन छीने जाने का रिकॉर्ड बनाया है। मुख्यमंत्री ने सारी मर्यादाओं को तार तार कर दिया, जब उन्होंने आदिवासियों के नाम पर आवंटित किए जाने वाले आद्योगिक जमीन को अपनी पत्नी, साली के नाम पर ही आवंटित कर दिया।

आदिवासी के नाम पर जनता को धोखा

उन्होंने कहा कि आदिवासियों के नाम पिछली भाजपा सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं, पेंशन को हेमंत सरकार ने बंद कर दिया।

ऐसे में झामुमो को बताना चाहिये कि आप आदिवासी के नाम पर कब तक जनता को धोखा देंगे।

हेमंत को आदिवासियों की चिंता नहीं। उन्हें केवल अपने परिवार के विकास की चिंता है। इसलिये झामुमो को आदिवासी के नाम पर जनता को दिग्भ्रमित करना बंद करना चाहिये।

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