बिजनेस

SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा- अब थम जाएगी महंगाई!

रिजर्व बैंक अगली दो बैठकों में बढ़ा सकता है नीतिगत दरें

नई दिल्ली: देश में महंगाई लगातार शीर्ष पर कायम है बीते कुछ महीनों महंगाई डायन के दंश से आम लोग काफी आहत हैं। बावजूद इसके SBI की एक रिपोर्ट का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगाई काबू करने के मामले में काफी आगे रहा है।

वहीं, जानकार आश्वस्त हैं कि आरबीई अगस्त और अक्टूबर में मौद्रिक नीति समीक्षा (एमपीसी) में रेपो रेट बढ़ाएगा। जबकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महंगाई के अब इस स्तर से ऊपर जाने के आसार नहीं हैं।

 SBI की ‘इकोरैप’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘ऐसा लगता है कि महंगाई दर अपने उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है।’ बता दें कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में करीब 8 साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। हालांकि, मई में यह कुछ नरम होकर 7.04 प्रतिशत पर आ गई।

रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति भी मई में नरम पड़कर 6.09 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 6.97 प्रतिशत थी। इसमें 2022-23 में औसत महंगाई दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।

RBI महंगाई काबू करने में पिछड़ गया

 SBI के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने कहा है, हमारा मानना है कि आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये काफी आगे है और फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) अमेरिका में Inflation को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक के मॉडल को अपना सकता है।

दरअसल, ऐसी चर्चाएं सामने आ रहीं थीं कि RBI महंगाई काबू करने में पिछड़ गया है। बता दें कि अमेरिका में महंगाई दर मई में चार दशक के उच्च स्तर 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा अनुमान है कि आरबीआई अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) में रेपो रेट में वृद्धि कर सकता है। जिसकी वजह से जून में मुद्रास्फीति 7 फीसदी से ऊपर रह सकती है। इसके बाद अक्टूबर में भी रेपो रेट में वृद्धि की जा सकती है।

जिससे नीतिगत दर महामारी-पूर्व स्तर 5.5 प्रतिशत से ऊपर निकल सकती है। फिलहाल इससे रेपो रेट 4.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है। RBI ने पिछले 1 महीने में 2 बार रेपो रेट बढ़ाया है।

रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है जो एसबीआई की रिपोर्ट में अनुमानित दर के समान है।

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