झारखंड

रजामंदी से अंतरधार्मिक विवाह करने पर सवाल नहीं पूछ सकती पुलिस: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो वयस्क अगर विवाह के लिए राजी होते हैं तो पुलिस उनसे कोई सवाल नहीं कर सकती।

न ही यह कह सकती है कि उन्होंने अपने माता पिता, परिवार या कुटुंब से इसकी अनुमति नहीं ली थी। अदालत ने कहा कि इस मामले में वयस्कों की रजामंदी सर्वोपरि है।

विवाह करने का अधिकार या इच्छा किसी वर्ग, सम्मान या सामूहिक सोच की अवधारणा के अधीन नहीं है।

अदालत ने कहा कि जब उन्होंने विवाह का प्रमाण-पत्र दिखा दिया तो पुलिस को केस बंद कर देना चाहिए था, लेकिन बयान देने के लिए उन्हें पुलिस थाने धमकाकर बुलाना गैर न्यायोचित है।

दरअसल, एक हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के ने शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दंपति ने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी उन्हें कर्नाटक वापस आने के लिए मजबूर कर रहा है और पति के खिलाफ मामले दर्ज करने की धमकी दे रहा है।

न्यायमूर्ति एस.के. कौल की पीठ ने कहा कि हम इन हथकंडों को अपनाने में जांच अधिकारी के आचरण को दृढ़ता से रेखांकित करते हैं।

इस अधिकारी को परामर्श के लिए भेजा जाना चाहिए ताकि वह सीखे कि ऐसे मामलों का प्रबंधन कैसे किया जाए। पीठ ने पाया कि आईओ को शिकायत को बंद करने के लिए खुद को और अधिक जिम्मेदारी से पेश करना चाहिए था।

अगर वह वास्तव में बयान दर्ज करना चाहता था तो उसे सूचित करना चाहिए था कि वह उनसे मिलने आए और बयान दर्ज कराए, बजाए पति के खिलाफ कार्रवाई की धमकी देने के कि पुलिस स्टेशन में आओ।

अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारियों के लिए आगे का रास्ता न केवल वर्तमान आईओ को परामर्श के लिए है, बल्कि पुलिस कर्मियों के लाभ के लिए ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी जरूरी है।

हम पुलिस अधिकारियों से अगले आठ हफ्तों में इस मामले में इस तरह के सामाजिक संवेदनशील मामलों को संभालने के लिए कुछ दिशा-निर्देशों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए कार्रवाई करने की उम्मीद करते हैं।

प्राथमिकी को खारिज करते हुए पीठ ने लड़की के पिता को सलाह दी कि वे विवाह को स्वीकार करें और अपनी बेटी और दामाद के साथ सामाजिक संपर्क फिर से स्थापित करें।

उन्होंने कहा कि बेटी और दामाद को अलग करने के लिए जाति और समुदाय की आड़ में शायद ही कोई वांछनीय सामाजिक क़वायद होगी।

अपनी शिक्षक बेटी के मुस्लिम इंजीनियर से विवाह करने पर पिता ने थाने में गुमशुदगी की रपोर्ट दर्ज करवाई थी।

पीठ ने बीआर आंबेडकर के -जाति का उन्मूलन- से लिए शब्दों के साथ निर्णय का समापन किया, ‘मुझे विश्वास है कि असली उपाय अंतरधार्मिक-विवाह है।

रक्त का मिलन अकेले ही परिजनों और स्वजनों के होने का एहसास पैदा कर सकता है, और जब तक यह स्वजन की भावना, दयालु होने के लिए, सर्वोपरि नहीं हो जाती है, अलगाववादी भावना- जाति द्वारा बनाया गया पराया होने का एहसास खत्म नहीं होगा।

असली उपाय जाति तोड़कर अंतर-विवाह है। बाकी कुछ भी जाति के विनाशक के रूप में काम नहीं करेगा।

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker