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आईआईएम कोलकाता विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की नजर

नई दिल्ली : आईआईएम कोलकाता विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय नजर बनाए हुए है।

हालांकि फिलहाल इस मामले में मंत्रालय ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया है।

शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि आईआईएम जैसे संस्थानों की स्वायत्तता और निजता बनी रहे।

आईआईएम के नियमों का सार्वजनिक और व्यापक उल्लंघन होने पर शिक्षा मंत्रालय दखल दे सकता है।

गौरतलब है कि आईआईएम कोलकाता की निदेशक अंजू सेठ ने वहां के चेयरमैन श्रीकृष्ण कुलकर्णी के खिलाफ केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को एक पत्र लिखा है, जिसके बाद यह विवाद उत्पन्न हुआ।

आईआईएम कलकत्ता की डायरेक्टर अंजू सेठ ने चेयरमैन को एक पत्र लिखा है। ऐसा ही दूसरा पत्र उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेजा है।

सेठ ने सरकार को लिखे अपने पत्र में चेयरमैन पर आरोप लगाया है कि वह अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।

साथ ही उनके कामकाज में भी अनुचित हस्तक्षेप कर रहे हैं।

अपने पत्र में अंजू सेठ ने लिखा की चेयरमैन द्वारा इस प्रकार के हस्तक्षेप के कारण उनका कार्य प्रभावित हो रहा है।

अंजू सेठ ने आईआईएम कानून के अन्तर्गत बनाए गए नियमों को नजरअंदाज किए जाने का उल्लेख किया है।

वहीं आईआईएम कलकत्ता के बोर्ड ने अंजू सेठ पर आरोप लगाते हुए अपने प्रस्ताव में कहा है कि सरकार से संपर्क करने के लिए सेठ की ओर से यह अनुचित व्यवहार था और गलत बयानी के जरिए अंजू सेठ ने मंत्रालय और बोर्ड के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश की गई।

डायरेक्टर अंजू सेठ द्वारा पत्र लिखे जाने के बाद आईआईएम कलकत्ता के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने डायरेक्टर अंजू सेठ के खिलाफ यह प्रस्ताव पारित किया है।

बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के मुताबिक डायरेक्टर ने फैकल्टी के साथ सहयोग नहीं किया। उनपर सीधे सरकार को पत्र लिखने का आरोप भी लगाया गया है।

आईआईएम कलकत्ता के बोर्ड द्वारा बुलाई गई एक बैठक में डायरेक्टर अंजू सेठ के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया, इसके बाद अब उनके खिलाफ जांच करने का आदेश भी दिया जा सकता है।

बोर्ड की बैठक में संबंधित दस्तावेज इकट्ठा करने के आदेश भी दिए गए हैं।

गौरतलब है कि आईआईएम के किसी भी डायरेक्टर और चेयरमैन के बीच इस तरह का यह पहला मामला है।

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