झारखंड

भारतीय जीवन पद्धति और मिट्टी में है बहुत ताकत, BAU में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने…

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री (Farmer Welfare Minister) अर्जुन मुंडा ने कहा कि देश में दूसरी हरित क्रांति संबंधी वैज्ञानिक प्रयासों में पारिस्थितिकी संतुलन और मिट्टी के टिकाऊ स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।

Farmer Welfare Minister Arjun Munda: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री (Farmer Welfare Minister) अर्जुन मुंडा ने कहा कि देश में दूसरी हरित क्रांति संबंधी वैज्ञानिक प्रयासों में पारिस्थितिकी संतुलन और मिट्टी के टिकाऊ स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।

जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक जीवन व्यवस्था से न्यूनतम छेड़छाड़ करते हुए कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास होगा। मुंडा शनिवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची में आयोजित तीन दिवसीय Agrotech किसान मेला के उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे।

मुंडा ने कहा कि भारतीय जीवन पद्धति और भारतीय मिट्टी में बहुत ताकत है। इस ताकत और यहां की मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों को बचाए रखने के लिए सजगता के साथ अगली कृषि क्रांति के लिए सबको काम करना होगा।

पहली हरित क्रांति के फायदे मिले किंतु हम यह ध्यान नहीं रख पाए कि रासायनिक उर्वरकों के ज्यादा प्रयोग से मिट्टी को कितना नुकसान हुआ और आने वाली पीढ़ी के लिए हम मिट्टी को उसके प्राकृतिक स्वरूप में संरक्षित रख पाए या नहीं। जहां हमारा उदर भर रहा है वहीं बीमारियां भी आ रही हैं।

मुंडा ने कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से पूरी दुनिया प्रभावित है लेकिन हम सबों को देखना है कि अपने-अपने क्षेत्र में हम इससे निपटने के लिए क्या कर सकते हैं।

पोषक तत्वों से भरपूर Millets हमारी प्राचीन परंपरा, पर्व त्योहार और पूजन पद्धति का अंग रहे। उन्हें हम विस्मृत कर रहे थे लेकिन प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष की अवधारणा प्रस्तुत कर पूरी दुनिया को इन फसलों को बचाने, बढ़ाने बढ़ाने का संदेश दिया।

मुंडा ने नवोन्मेषी कृषि के लिए पांच प्रगतिशील किसानों- संगीता देवी, बोकारो, शिवनाथ कुशवाहा, गढ़वा, मैनेजर हांसदा, पाकुड़, Marita Hembrum, साहिबगंज तथा रवि कुमार महतो को सम्मानित भी किया।

रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा कि बीएयू के 40 किलोमीटर रेडियस में सब्जी और फल उत्पादन का बड़ा क्षेत्र है, जहां से पड़ोसी राज्यों के अलावा मुंबई और कर्नाटक तक उत्पाद जाते हैं। बागवानी के क्षेत्र में यहां की संभावनाओं का समुचित उपयोग होना चाहिए।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक ने कहा कि झारखंड बागवानी, पशु उत्पादन एवं मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में एक बड़े हब के रूप में उभर सकता है। इसके उत्पादों की मांग देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी होगी। इसके लिए आर्थिक सहयोग के साथ-साथ पॉलिसी सपोर्ट की भी आवश्यकता है।

कांके के विधायक समरी लाल ने कहा कि कांके बड़ा कृषि उत्पादक क्षेत्र है। इसलिए यहां कई बड़े कोल्ड स्टोरेज खुलने चाहिए तथा दशकों से बंद पड़े एशिया फेम के बेकन फैक्टरी को शीघ्र प्रारंभ करना चाहिए। रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजित कुमार सिन्हा तथा भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची के निदेशक डॉ सुजय रक्षित ने भी अपने विचार रखे।

एग्रोटेक मेला में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों, आईसीआर के संस्थानों, बीज, उर्वरक के निर्माताओं, सरकारी विभागों, बैंकों तथा स्वयंसेवी संगठनों ने 130 स्लॉट में अपनी Technology, उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित किया है। आयोजन में राज्य के सभी 24 जिलों के किसान अच्छी संख्या में भाग ले रहे हैं।

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