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स्कूलों को बम से उड़ने की धमकी में हुआ रूस के VPN का इस्तेमाल, IP एड्रेस का…

दिल्ली-NCR (Delhi-NCR) के स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी भरा E-Mail भेजने के लिए रूस के वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का उपयोग किया गया है।

Russian VPN used to Threaten to Bomb schools: दिल्ली-NCR (Delhi-NCR) के स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी भरा E-Mail भेजने के लिए रूस के वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का उपयोग किया गया है।

जिस डिवाइस यानी फोन, Laptop or Computer से इसे भेजा गया है, उसके IP एड्रेस का भी पता लगाया जा रहा है। पुलिस अफसरों ने बताया कि इंटरनेट तो रूसी है, लेकिन इसका इस्तेमाल दुनिया के किसी भी कोने से किया जा सकता है।

दिल्ली पुलिस की Special Sale को इस पूरे मामले की जांच सौंपी है। पुलिस मामले में आरोपियों पर IT एक्ट और IPC की दूसरी धाराएं भी लगा सकती है।

पुलिस ने बताया कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जांच शुरू कर दी है। धमकी वाला E-Mail जिस ID से भेजा गया है। पुलिस को शक है कि इसमें आईएसआई या चीन का हाथ हो सकता है।

मेल में सवारीइम एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब तलवारें टकराना है। इसे इस्लामिक स्टेट (IS) 2014 से इस्तेमाल कर रहा है। अभी जांच शुरुआती दौर में है, इसलिए ये पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि ये E-Mail IS ने भेजा है। धमकी भरा E-Mail भेजने के लिए Proxy Address का प्रयोग हुआ है।

जांच एजेंसी के लिए आरोपियों तक पहुंचाना आसान नहीं है। दरअसल, ये साजिश सोच-समझकर रची गई है। बुधवार सुबह 4 बजे से दिल्ली-NCRके स्कूलों को मेल भेजने का सिलसिला शुरू हुआ जो सुबह 6 बजे तक जारी रहा।

आशंका जताई जा रही है कि रूसी VPN का जिस IP एड्रेस के डिवाइस में इस्तेमाल किया गया है उसे साजिशकर्ताओं ने नष्ट भी कर दिया होगा। इसलिए पुलिस को इस मामले की जांच में काफी मुश्किलें आ सकती हैं।

Cyber Experts ने बताया कि जियो स्पूफिंग के जरिए किसी भी देश के VPN को किसी भी देश में बैठ कर चुना जा सकता है। इससे IP एड्रेस को भी बदल सकते हैं। लोकेशन को बदला जा सकता है।

स्कूलों को मेल जिस रूसी ईमेल सर्विस से आया है वह हाल ही में यूक्रेन की सेना के IT विभाग ने इस सर्विस को निशाना बनाया था और इसे बंद करवा दिया था।

जांचकर्ता इस पर विचार कर रहे हैं कि शायद किसी छात्र या छात्रों के ग्रुप ने शरारत की हो और उन्होंने अपना IP एड्रेस छिपाने के लिए इस तरह के तरीके इस्तेमाल किए हों।

इसके अलावा वे दूसरे पहलुओं को भी जांच रहे हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस मामले में किसी हैकर ग्रुप का हाथ तो नहीं है। पुलिस सभी तथ्यों को सामने रख कर जांच आगे बढ़ा रही है।

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