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लखनऊ हाईकोर्ट ने सैयद मोदी हत्याकांड में आरोपी को मिली उम्रकैद की सजा बरकरार रखी

लखनऊ के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 22 अगस्त 2009 को पप्पू पर मुकदमा चलाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, पप्पू अभी जेल में है

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 1988 में राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन सैयद मोदी (Syed Modi) की हत्या के मामले में दोषी पाए गए भगवती सिंह उर्फ पप्पू को मिली आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है।

पीठ ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत है कि सैयद मोदी अपीलकर्ता द्वारा एक अन्य आरोपी के साथ एक बन्दूक का उपयोग करते हुए गोलीबारी (Firing) में मारे गए थे।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव (Saroj Yadav) की पीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया, जहां 21 मार्च, 2022 को दोषी पप्पू द्वारा दायर अपील की सुनवाई पूरी करने के बाद सुरक्षित रखा था।

लखनऊ के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 22 अगस्त 2009 को पप्पू पर मुकदमा चलाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पप्पू अभी जेल में है।

28 जुलाई, 1988 को दो कार सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी

पीठ ने कहा, रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्य से पता चलता है कि सह-आरोपी बलई सिंह की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी।

उन्होंने एक गवाह की उपस्थिति में एक बयान दिया कि सैयद मोदी की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल में दोषी पप्पू ने उसे कारतूस दिए थे। बाद में जांच टीम ने वारदात में प्रयुक्त हथियार को बरामद कर लिया।

सैयद मोदी की 28 जुलाई, 1988 को दो कार सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या (MURDER) कर दी थी।

सीबीआई ने जांच शुरू की और तत्कालीन कांग्रेस सांसद संजय सिंह, अमिता कुलकर्णी मोदी, अखिलेश सिंह, बलाई सिंह, अमर बहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह उर्फ टिंकू और भगवती सिंह उर्फ पप्पू के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

पप्पू को छोड़कर अन्य सभी आरोपियों को या तो अदालतों ने बरी कर दिया या मुकदमे के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

पप्पू (Pappu) की ओर से यह तर्क दिया गया कि एक बार मुख्य आरोपी के बरी हो जाने के बाद उसके खिलाफ सैयद मोदी को मारने का कोई मकसद नहीं रह गया और इसलिए उसे बरी कर दिया जाना चाहिए। यह मानते हुए कि पप्पू की पहचान करने वाला एक प्रत्यक्ष चश्मदीद था।

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