झारखंड

रांची में पहला मंगलवारी जुलूस 14 मार्च को निकाला जाएगा, रामनवमी 30 मार्च को

रांची: रांची (Ranchi) में रामनवमी और चैती दुर्गापूजा (Ram Navami and Chaiti Durga Puja) की तैयारी शुरू हो गयी है। रामनवमी का पहला मंगलवारी जुलूस (Procession) 14 मार्च को निकलेगा।

इसके बाद 21 मार्च को दूसरा, 28 को तीसरा और अंतिम मंगलवारी जुलूस निकलेगा। 29 मार्च को महाअष्टमी (Mahashtami) है। इस दिन मंगल आरती होगी और झांकी निकाली जायेगी। 30 मार्च को रामनवमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जायेगा।

इस दिन रात 11:53 बजे तक नवमी तिथि मिल रही है, जिस दिन मध्याह्न काल में नवमी तिथि मिलती है, उसी दिन Ram Navami मनायी जाती है। 30 मार्च को रात 11.31 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र (Punarvasu Nakshatra) और रात 1:42 बजे तक अतिगण्ड योग रहेगा।

इसके अलावा सिद्धि योगा मिल रहा है। इस कारण से यह तिथि काफी शुभ मानी जा रही है। 30 मार्च को ही रामनवमी की भव्य शोभायात्रा निकाली जायेगी।

रांची में पहला मंगलवारी जुलूस 14 मार्च को निकाला जाएगा, रामनवमी 30 मार्च को- The first Tuesday procession in Ranchi will be taken out on March 14, Ram Navami on March 30

22 मार्च से विक्रम संवत और वासंतिक नवरात्र

विक्रम संवत-2080 भी 22 मार्च से शुरू हो जायेगा। साथ ही वर्ष प्रतिपदा की शुरुआत होगी। पंडित रामदेव पाण्डेय (Pandit Ramdev Pandey) ने बताया कि 22 मार्च को नया साल (New Year) शुरू हो रहा है।

इस दिन गंगा सहित अन्य सहायक नदियों में स्नान, नया वस्त्र पहनने, घरों में नया झंडा लगाने, पंचांग पूजन और श्रवण, दान का महत्व ह। कृषि कार्य शुरू करने का भी विधान है। साथ ही गुड़ी पड़वा, सिंधी नववर्ष, तमिल नववर्ष भी शुरू होगा।

रांची में पहला मंगलवारी जुलूस 14 मार्च को निकाला जाएगा, रामनवमी 30 मार्च को- The first Tuesday procession in Ranchi will be taken out on March 14, Ram Navami on March 30

बांग्ला पंचांग के अनुसार माता का आगमन घोड़ा पर हो रहा

वासंतिक नवरात्र भी 22 मार्च से शुरू हो जायेगा। रात 9:24 बजे तक प्रतिपदा होने के कारण भक्तों (Devotees) को कलश स्थापना का काफी समय मिलेगा। प्रात:काल में देवी पूजन का काफी महत्व है।

23 मार्च को द्वितीया, 24 को तुतीया, 25 को चतुर्थी, 26 को पंचमी, 27 को बेलवरण, 28 को महासप्तमी, 29 को महाअष्टमी, 30 को महानवमी (Mahanavami) और 31 मार्च को दशमी है।

बांग्ला पंचांग के अनुसार माता का आगमन घोड़ा और गमन डोली (Moving Cart) पर हो रहा है, जिसका फल शुभ नहीं है। हालांकि कोई भी तिथि क्षय नहीं है, जिस कारण इसे शुभ माना जा रहा है।

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