झारखंड

भाई-बहन के पवित्र बंधन और प्रेम का प्रतीक है भाईदूज

पटना: भाई दूज या भैयादूज के त्योहार को भाई-बहन के पवित्र बंधन और प्रेम के लिए जाना जाता है। भाई दूज अन्य सभी त्योहारों से बहुत अलग माना जाता है।

ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस त्योहार में किसी देवी-देवता की उपासना आदि क्रियाओं की बजाय स्वयं ही अपने भाई को तिलक करने का विधान है।

प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि के लिए तिलक लगाती हैं।

कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन जो बहन अपने भाई के माथे पर भगवान को प्रणाम करते हुए कुमकुम का तिलक करती है उनके भाई को सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

भाईदूज का त्योहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है।

इस दिन विवाहित महिलाएं अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित कर उन्‍हें तिलक लगाकर भोजन कराती हैं। वहीं, एक ही घर में रहने वाले भाई-बहन इस दिन साथ बैठकर खाना खाते हैं।

मान्‍यता है कि भाईदूज के दिन यदि भाई-बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह अत्‍यंत मंगलकारी और कल्‍याणकारी होता है।

भाईदूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन मृत्‍यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है।भाईदूज पर बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं।

इस दिन को भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध एवं प्रेमभाव की स्थापना करना है।भाईदूज के दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। साथ ही भाई अपनी बहन को उपहार देता है।

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker