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परीक्षा पे चर्चा : प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों को ‘आलोचना’ और ‘टोका-टोकी’ के बीच समझाया अंतर, जानें PM मोदी की राय

नई दिल्ली: PM नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम (Pariksha pe Charcha program) में विद्यार्थियों के कई सवालों का अपने अनुभव के आधार पर जवाब दिया।

इस कार्यक्रम में सभी हैरान रह गए जब गुजरात से छात्रा कुमकुम सोलंकी, चंडीगढ़ से मन्नत बाजवा और दक्ष‍िण सिक्क‍िम (Mannat Bajwa and South Sikkim) से अष्टमी सेन ने प्रधानमंत्री से तकरीबन एक जैसा ही सवाल किया।

परीक्षा पे चर्चा : प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों को 'आलोचना' और 'टोका-टोकी' के बीच समझाया अंतर, जानें PM मोदी की राय - Pariksha Pe Charcha: The Prime Minister explained to the students the difference between 'criticism' and 'toka-toki', know PM Modi's opinion

इन तीनों ही विद्यार्थियों ने सवाल किया कि आप विपक्ष और मीडिया की आलोचनाओं का कैसे सामना करते हैं, हमें अपने अभ‍िभावकों और टीचर्स की आलोचना से ही बुरा लगता है।

इस सवाल पर प्रधानमंत्री सबसे पहले तो हंसते हुए कहा कि ये Out Of Syllabus है। आगे उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि आपने मुझे इसमें क्यों लपेटा है, क्योंकि आपके परिवार के लोग भी यह सुन रहे हैं।

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आलोचना को पीएम मोदी ने कहा ‘शुद्ध‍ियज्ञ’

फिर सवाल के जवाब देते हुए PM मोदी ने आलोचना को ‘शुद्ध‍ियज्ञ’ (Purification) कहा। उन्होंने कहा कि जब आप लोग परीक्षा देकर दोस्तों, परिवार या शिक्षकों के साथ बैठकर अपनी परीक्षा के बारे में चर्चा करते हैं और कोई जवाब गलत हुआ तो, आप कहते हैं कि ये आउट ऑफ सिलेबस है।

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ये भी आउट ऑफ सिलेबस है, लेकिन मैं अंदाजा लगा सकता हूं कि आप क्या कहना चाह रहे हैं। अगर आपने मुझे ना जोड़ा होता तो आप और अच्छी तरह से कह पाते।

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आपके परिवार के लोग भी कार्यक्रम सुन रहे हैं, तो ऐसा खुलकर बोलने में खतरा है इसलिए बड़ी चतुराई से आपने मुझे लपेटे में ले लिया।

जहां तक मेरा सवाल है मेरा एक सिद्धांत है, मैं मानता हूं कि समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है। आलोचना समृद्ध लोकतंत्र की पूर्ण शर्त है।

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आलोचना और टोका टोकी में समझाया अंतर

आगे उन्होंने आलोचना को लेकर कहा कि सबसे पहले आपको ये समझना होगा कि आपकी आलोचना कौन कर रहा है। जब कोई अपना किसी बात पर आपको कुछ कहता है तो यह आलोचना है, लेकिन अगर कोई दूसरा कहता है तो ये टोकाटोकी है।

उन्होंने एक फैंसीड्रेस कंपटीशन का उदाहरण भी दिया कि उसमें अगर आपका दोस्त कुछ सकारात्मक भाव से कहता है तो ये आलोचना है, लेक‍िन कोई गैर बोलता है तो वो टोकाटोकी है।

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आलोचना पर कभी नहीं आता गुस्सा

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि आलोचना करने वाले आदतन करते रहते हैं, उनको एक बक्से में डाल दीजिए, उनका इरादा कुछ और ही होता है। उन्होंने आगे कहा कि घर में आलोचना नहीं होती है, क्योंकि आलोचना के लिए माता-पिता को बहुत ऑब्जर्व करना होता है।

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टीचर्स से मिलना होता है, आपके बारे में पूछना होता है, आपका स्क्रीन पर कितना टाइम जा रहा सब फॉलो करना हाता है।

ये सब मां-बाप बारीकी से Observe करते हैं, फिर आप जब अच्छे मूड में होते हैं, अकेले होते हैं तो प्यार से बोलते हैं कि यहां थोड़ी सी कमी रह रही है, इसे ठीक कर लो। इसीलिए गुस्सा आपको टोकाटोकी पर आता है, आलोचना पर नहीं।

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टोका टोकी भटकाता है फोकस

उन्होंने संसद का उदाहरण भी दिया और कहा कि कोई एक सांसद कुछ तैयारी करके आता है। जैसे ही बोलना शुरू करता है, विपक्ष वाले आदतन टिप्पणी कर देते हैं।

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अब वो जो तैयारी करके आया वह सब भूल गया और उसी की ट‍िप्पणी का जवाब देने में लग जाता है। अगर वो टिप्पणी को न सुनकर फोकस एक्ट‍िविटी (Focus Activity) करे तो अपनी तैयारी काम आ जाए। इसलिए टोकाटोकी पर ज्यादा ध्यान न देकर अपना फोकस नहीं भटकाना चाहिए।

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